बिहू 2020, भारत के असम राज्य में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। असम में एक साल में तीन तरह के बिहू - माघ बिहू (जनवरी के मध्य में), बोहाग बिहू (बैसाख, अप्रैल के मध्य) और काटी बिहू (कार्तिक, अक्टूबर के मध्य) के महीनों में मनाये जाते हैं। जनवरी के महीने में मनाये जाने वाले बिहू को माघ बिहू के साथ ही भोगाली बिहू के नाम से भी जाना जाता है।
बिहू 2020 के इस लेख के माध्यम से हम बिहू के इस पवित्र त्यौहार के बारे में बताएँगे। बिहू शब्द दिमासा लोगों की भाषा से लिया गया है, जो एक प्राचीन कृषि समुदाय है। उनके सर्वोच्च देवता ब्राई शिबराई हैं, उन्हें पिता शिबराई भी कहा जाता है। जिन्हें दिमासा लोग, मौसम की पहली फ़सल को अपनी सुख-समृद्धि की कामना करते हुए अर्पित करते हैं। वास्तव में बिहू का अर्थ पूछना और ‘शु’ का अर्थ धरती पर खुशहाली देना है। इस तरह यह शब्द वास्तव में बिशु था, जो बाद में बिगड़कर बिहू बन गया। बिहू का आशय धरती पर देवताओं से खुशहाली की मांग करना और देवता द्वारा उन्हें खुशहाली देना है। यूं तो साल भर में असम में तीन बिहू मनाएं जातें हैं, लेकिन इन तीनों में सबसे सुंदर और रंग-बिरंगा बिहू रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू को माना जाता है, जो अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है।
माघ बिहू असम में फसलों की कटाई पर किसानों में होने वाले हर्ष का प्रतीक है। जिसे मगहर दोमाही के नाम से भी जाता है। माघ बिहू का पर्व असम में एक सप्ताह तक मनाया जाता है। जैसे सम्पूर्ण भारत में मकर सक्रांति का त्यौहार सूर्यदेव के उत्तरायण होने के अवसर पर मनाया जाता है और मकर सक्रांति को सूर्यदेव को समर्पित किया जाता है, वैसे ही माघ बिहू का त्यौहार अग्नि के देवता- अग्निदेव को समर्पित होता है। माघ बिहू को भोगाली बिहू कहने के पीछे कारण यह है कि इस अवसर में भोग यानी खाने के लिए कई प्रकार के व्यंजन, जैसे- नारियल के लड्डू, तिल पीठा, घिला पीठा, मच्छी पीतिका और बेनगेना खार के साथ-साथ कई अन्य पारंपरिक पकवान भी बनाए और खिलाएं जाते हैं। इसलिए इसे भोगाली बिहू कहा जाता हैफ।
बिहू 2020 के लेख के इस भाग में आपको बताएँगे बिहू के दौरान बनने वाले पकवानों के बारे में।
बिहू 2020 लेख के इस भाग में अब आपको बताते हैं की देश के विभिन्न भागों में बिहू का त्यौहार कैसे मनाया जाता है।
यह समय किसानों के लिए कृषि के कठिन परिश्रम भरे काम से समय निकालकर आराम करने और अपने सगे-संबंधियों के साथ समय बिताने का होता है। इसलिए भी इस त्योहार का महत्व बहुत बढ़ जाता है। बिहु के अवसर पर पारंपरिक वाद्ययंत्रों और पारंपरिक गीतों-लोकनृत्यों को देखने के लिए सुदूर प्रदेशों से लोग असम पहुँचते हैं। जो असम की संस्कृति और परंपराओं का अनूठा संगम दर्शाते हैं। हिन्दीलोक परिवार की तरफ से आप सभी को बिहू 2020 की हार्दिक शुभ कामनाएं।
हमें आशा है कि बिहू 2020 पर लिखा गया यह लेख आपको पसंद आया होगा। हम आपके मंगल भविष्य की कामना करते हैं।
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